क्या फ़र्क पड़ता अगर हमारा रिश्ता किसी अंजाम तक पहुँचता ?
तुम तो तुम ही रह जाते और मैं भी सिर्फ मैं ही रह जाती
और उस बंधन को नाम देकर एक कोने मे सजाकर रखना पड़ता
इस तरह तुम कुछ और बन गए, चाहे मेरे मन में ही सही
और शायद मैंने भी तुम्हारे ख़यालों मे फिर से नया जन्म लिया है
क्या पता, तुम मुझे किसी और में ही पा जाओ, ठीक उस तरह जैसे तुम हमेशा चाहते थे
हमारे बीच के लकीरें जो कभी अपने निशान नहीं छोड़ पायी अब किसी तीसरे दिल मे कैद हो जायेंगी
और हम, आज़ाद।
तुम तो तुम ही रह जाते और मैं भी सिर्फ मैं ही रह जाती
और उस बंधन को नाम देकर एक कोने मे सजाकर रखना पड़ता
इस तरह तुम कुछ और बन गए, चाहे मेरे मन में ही सही
और शायद मैंने भी तुम्हारे ख़यालों मे फिर से नया जन्म लिया है
क्या पता, तुम मुझे किसी और में ही पा जाओ, ठीक उस तरह जैसे तुम हमेशा चाहते थे
हमारे बीच के लकीरें जो कभी अपने निशान नहीं छोड़ पायी अब किसी तीसरे दिल मे कैद हो जायेंगी
और हम, आज़ाद।
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